जगत सेठ घराना: अगर हम भारत का इतिहास पलट कर देखेंगे तो कई सारी चीजें सामने निकल कर आती हैं. कई सारी ऐसी चीजें होती हैं. जिन पर यकीन करना भी मुश्किल हो जाता है लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें होती हैं जो वाकई में सही होती हैं. ऐसे ही इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था.
वाकई यह बातें सही भी हैं. 1700 सौ के आस पास भारत के पास बहुत धन संपत्ति और सोना चांदी हुआ करता था. लेकिन उस दौर में अंग्रेज आए और अंग्रेज पूरा सोना चांदी और दौलत लूटकर ले गए. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे सेठ के बारे में बताने वाले हैं.
जो उस दौर में ब्रिटिश सरकार को कर्जा दिया करता था. इतना ही नहीं इस सेठ को उस समय का सबसे बड़ा बैंकर माना जाता था. आइए जानते हैं जगत सेठ घर आने के बारे में.
कौन थे जगत सेठ :
जगत सेठ 1700 में एक ऐसा नाम हुआ करता था जो आम लोगों की तो मदद करता ही था. इसके साथ ही ब्रिटिश सरकार भी उनसे कर्जा लेती थी. जगत सेठ का असली नाम फतेहचंद था लेकिन 1723 में इन्हें जगत सेठ नाम मुगल बादशाह और मोहम्मद शाह ने दिया था
इस घराने के संस्थापक के बारे में बात करें तो मानिकचंद को इस घर का संस्थापक माना जाता है और यह घराना उस दौर का सबसे अमीर घराना हुआ करता था बता दें, मानिक चंद का जन्म 17वीं शताब्दी में मारवाड़ी जैन परिवार में हुआ था. इसके बाद यह बिहार चले गए थे
और यहां पर इन्होंने अच्छे खासे बिजनेस से कमाई की थी. जिसके बाद इनके ब्रिटिश कॉरपोरेट के साथ भी अच्छे रिलेशन बन गए थे और उनको यह कर्जा भी देने लगे थे. इनकी संपत्ति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं उस दौर में जगत सेठ घराने की तुलना बैंक ऑफ इंग्लैंड से की गई थी.
इतनी थी संपत्ति :
उस दौर में जगत सेठ के बारे में कहा जाता था कि अगर वह सोने और चांदी से दीवार बना दे तो गंगा के पानी को भी रोक सकते हैं. इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो कहना मुश्किल है लेकिन उस दौर में इनका जैसा दबदबा था वह कमाल का था. वहीं कुछ दस्तावेजों में बताया जाता है फतेहचंद के समय इनकी संपत्ति एक करोड़ फाउंड थी
अगर आज इसे पाउंड में काउंट करेंगे तो यह कीमत करीब 1000 बिलियन पाउंड के आस पास होगी. और इसे भारतीय मुद्रा में काउंट किया जाए तो यह कीमत अरबों में पहुंच सकती है. ब्रिटिश दस्तावेज बताते हैं कि ब्रिटिश में जितने भी बैंक थे. उन सभी बैंकों से ज्यादा पैसा इस घराने के पास था.
अब कहां है यह घराना :
बताया जाता है महाराजा स्वरूप और और माधव राय की मृत्यु के बाद जगत सेठ का घराना बिखरने लगा था और इसकी सबसे बड़ी वजह 1857 का विद्रोह बताया जाता है. कहा जाता है कि इस समय यह काफी बुरे दौर में थे. वही ब्रिटिश सरकार ने इनसे जो कर्जा लिया था वह भी कभी वापस नहीं किया,
वर्तमान समय में यह कहां हैं और क्या करते हैं. इसकी कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है. 1900 तक आते-आते जगत सेठ का परिवार लोगों की नजरों से ओझल होने लगा था और अब सिर्फ जगत सेठ की चर्चा इतिहास के पन्नों में ही की जाती है.