Rakesh Sharma: सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा यह लाइनें आज भी हर भारतीय की जुबान पर हैं. साल 1984 वह दौर था. जब देश के लिए इतिहास लिखा गया था. इस साल देश के पहले एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा ने चंद्रमा पर कदम रखा था और उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अन्तरिक्ष रखने वाले राकेश शर्मा से पूछा था कि चांद से अपना भारत कैसा दिखता है
और इसके जवाब में ही राकेश शर्मा ने यह लाइनें कही थी. इसके बाद यह लाइनें आज तक हर किसी की जुबां पर चढ़ी रहती हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपको राकेश शर्मा की कहानी से ही रुबरु कराने वाले हैं. चलिए आपको बताते हैं देश के पहले एस्ट्रोनॉट जिन्होंने अंतरिक्ष पर कदम रखा और देश के लिए इतिहास बन गए.
पटियाला में जन्मे थे राकेश शर्मा : देश के पहले एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में साल 1949 में हुआ था और 20 सितंबर 1982 भारत के लिए वह गौरव का दिन था. जब राकेश शर्मा ने एस्ट्रोनॉट पर भेजने के लिए इसरो ने चुना था और 2 अप्रैल 1984 के दिन राकेश शर्मा को इसरो के साथियों के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया था
और 2 अप्रैल को जाने के बाद राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट स्पेस में बिताए थे. जिसके बाद राकेश शर्मा देश के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए थे. जिन्होंने अन्तरिपरक्ष पहली बार कदम रखा था बता दें, राकेश शर्मा 14 वें ऐसे व्यक्ति थे. जिन्होंने चंद्रमा पर कदम रखा था.
दो साथियों के साथ की थी सफर की शुरुआत : इस मिशन में राकेश शर्मा ने दो साथियों के साथ अंतरिक्ष में जाने के लिए उड़ान भरी थी. राकेश शर्मा भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व कर रहे थे और भारत की आशाएं उनके कंधों पर थी. बता दें, 33 परीक्षण करने के बाद राकेश शर्मा जब भारत लौटे थे.
उस समय तत्कालीन भारत सरकार ने इन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया था वही सोवियत संघ ने भी राकेश शर्मा को सम्मान देते हुए हीरो ऑफ सोवियत यूनियन” से नवाजा था. कहना गलत नहीं होगा राकेश शर्मा का सफर काफी शानदार रहा था और उन्होंने देश के लिए कई गौरव प्राप्त करने वाले काम किए थे.
आज भी राकेश शर्मा को इन पराकाष्ठा भरे कामों के लिए याद किया जाता है. बता दें, इसके अलावा राकेश शर्मा ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स में भी कुछ समय तक अपनी सेवाएं दी थी.
साल 2001 में की अंतिम उड़ान : राकेश शर्मा की अंतिम उड़ान के बारे में बात करें तो साल 2001 वह साल था. जब उन्होंने अंतरिक्ष में अंतिम उड़ान भरी थी और उस समय हर युवा के लिए प्रेरणा बन गए थे. जो भी युवा अंतरिक्ष में जाने का सपना देखते हैं राकेश शर्मा उनके लिए आज भी प्रेरणा है
और उनके बारे में कई किताबें लिखी जा चुकी हैं. जिनमें राकेश शर्मा की जीवन गाथा को विस्तार से बताया गया है. जो भी हो राकेश शर्मा के इस जोश और जज्बे को देश आज भी याद करता है और उन्होंने अपने कैरियर के दौरान देश को कई अदम्य योगदान दिए थे. जिसकी वजह से राकेश शर्मा हमेशा याद किए जाएंगे.