सरथ बाबू: इंसान चाहे तो अपने कड़े संघर्ष के दम पर अपनी किस्मत के लिखे को बदल सकता है और जो वह जीवन में हासिल करना चाहता है. वह मेहनत के दम पर हासिल कर सकता है. अक्सर आप फिल्में देखते होंगे तो दिखाया जाता है. किसी बच्चे का गरीबी में जन्म होता है लेकिन वह बड़ा होकर करोड़पति बन जाता है.
वही शरथ बाबू एक ऐसे इंसान हैं. जिन्होंने दिखा दिया है कि ऐसा फिल्मों में ही नहीं रियल जिंदगी में भी संभव है. आज के इस पोस्ट में हम आपको झुग्गी झोपड़ी में पैदा हुए और अब करोड़ों के मालिक सरथ बाबू की ही कहानी से रूबरू कराने वाले हैं.
झुग्गी झोपड़ी में बीता बचपन : सरथ बाबू का जन्म झुग्गी झोपड़ी में बीता था. इनके घर में इनकी मां और इनकी बहने थी और घर को पालने की जिम्मेदारी इनके मां के कंधों पर थी. वही सरथ भी देखते थे कि उनकी मां उनके लिए कितना संघर्ष करती है और इसका असर इन पर भी हुआ.
इनकी मां एक आंगनवाड़ी में ₹30 महीना काम करती थी और इस महीना इस पैसे से घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो जाता था लेकिन की मां चाहती थी कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर कुछ बड़ा करे, लेकिन इतने पैसे में घर का खर्चा ही चलना मुश्किल था तो पढ़ाई लिखाई दूर की बात है.
दसवीं तक तो सरथ की पढ़ाई हो गई थी लेकिन 12वीं में पढ़ने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे और इसके लिए उन्होंने बुक बाइंडिंग का काम शुरू किया, जिसकी वजह से उनकी 12वीं की पढ़ाई पूरी हो पाई, अब पढ़ाई को आगे जारी रखना था और एक ऐसे विश्वविद्यालय से डिग्री लेनी थी.
जिसके दम पर यह नौकरी पा सकें. इसके लिए इन्हें किसी ने बताया कि अगर वह बिड़ला टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंस्टिट्यूट से पढ़ाई करते हैं तो उनको अच्छे खासे पैकेज में नौकरी मिलेगी. बस फिर क्या था. उन्होंने दिन रात मेहनत करना शुरू किया और अपनी मेहनत के दम पर इसके टेस्ट को क्वालिफाई कर दिया.
लेकिन यहां के सामने समस्या खड़ी हुई और वह समस्या थी आर्थिक तंगी, आर्थिक तंगी की वजह से यहां भी इन्हें मुश्किलें हुई लेकिन इन्होंने अपनी बहन के गहने रखकर यहां से पढ़ाई पूरी की.
नौकरी मिलने के बाद भी नहीं थमा सफर : इंस्टिट्यूट से पढ़ाई करने के बाद सरथ बाबू को चेन्नई की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में अच्छे खासे पैकेज पर नौकरी मिल गई थी लेकिन यह तो जीवन में कुछ और बड़ा करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद का मन बनाया
और इसके लिए उन्होंने कैट का एग्जाम दिया लेकिन दुर्भाग्य से इस एग्जाम में इन्हें दो बार असफलता मिली, लेकिन तीसरी बार में इन्हें आईआईआईएम अहमदाबाद में दाखिला मिल गया. यहां से इन्होंने एमबीए की डिग्री ली. जिसके बाद फिर से इनके सफर की शुरुआत हुई
और यह नौकरी नहीं करना चाहते थे यह बिजनेस करना चाहते थे और उस बिजनेस को पूरे देश में फैलाना चाहते थे. यूं तो इन्हें एमबीए करने के बाद अच्छी नौकरियों के ऑफर मिले थे लेकिन उन्होंने सभी ऑफर को ठुकरा दिया.
फिर शुरू हुआ बिजनेस का सफर : एमबीए करने के बाद शरथ बाबू बिजनेस करना चाहते थे और उन्होंने बिजनेस के क्षेत्र में सबसे पहला कदम उठाया और उन्होंने फूड सप्लाई बिजनेस की शुरुआत की और इसके लिए प्रेरणा बनी इनकी मां. साल 2006 में शरथ ने फूड कैटरिंग सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की थी
और शुरुआत में यह कंपनी छोटे-छोटे प्रोडक्ट सप्लाई करती थी लेकिन जैसे जैसे समय बीता वैसे वैसे इस कंपनी की ग्रोथ ने रफ्तार पकड़ी और देखते ही देखते यह कंपनी काफी पॉपुलर हो गई और एक समय आया जब शरथ बाबू ने इस कंपनी के आउटलेट से पूरे देश भर में खोल दिए और उस कंपनी को एक अलग ही मुकाम पर ले जाकर खड़ा कर दिया.