इस शख्स ने पहाड़ काटकर रास्ता तो नहीं लेकिन कुआं जरूर बना दिया, कहानी भावुक कर देगी

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पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी को भला कौन नहीं जानता दशरथ मांझी के पराक्रम के किस्से पूरी दुनिया में मशहूर है. मशहूर होने की वजह दशरथ मांझी का पहाड़ काटकर रास्ता बनाना है.

इन्होंने अपनी पत्नी के साथ हुई एक पीड़ा से द्रवित होकर पहाड़ काटकर एक लंबा रास्ता बनाया था लेकिन आज के इस पोस्ट में हम आपको बिहार के दशरथ मांझी नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के एक और दशरथ मांझी के बारे में बताने वाले हैं.

जिन्होंने भी इसी परेशानी से को देखकर पहाड़ काटकर रास्ता तो क्या बनाया है लेकिन इस शख्स ने पत्नी की परेशानी को देखते हुए पहाड काटकर कुआं बनाया है. दरअसल, इस शख्श की पत्नी काफी दूर से पानी लेने जाती थी और इसी समस्या से इसने कुआँ बना दिया. आइये जानते हैं शख्स के बारे में.

पत्नी की परेशानी को देखकर पहाड़ काटकर कुआं खोद दिया

जी हां, मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले हरि सिंह ने यह कारनामा कर दिखाया है और कारनामा करने के पीछे की वजह उनकी पत्नी की परेशानी है. दरअसल, दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक उनकी पत्नी हमेशा 2 किलोमीटर से पानी लाती थी और दिन में उसे कई चक्कर लगाने पड़ते थे.

इसके बाद उसकी तबीयत भी खराब होती थी. बस यही परेशानी हरि सिंह से देखी नहीं गई और उसने पहाड़ काटकर रास्ता तो नहीं बनाया लेकिन कुआं जरूर बना दिया है. और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि हरिसिंह ने इसके लिए किसी भी शख्स को नहीं बताया बल्कि खुद ही कुआं बनाने के लिए निकल गए और आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने एक कुएं को बना दिया है.

लगी है 3 साल की मेहनत

हरि सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वह पिछले 3 वर्षों से कुऐं को खोद रहे हैं और कड़ी मेहनत के बाद अब इसमें थोड़ा बहुत पानी आने लगा है लेकिन अभी भी खुदाई जारी है. हरि सिंह के मुताबिक उन्होंने 3 साल में 20 फीट चौड़ा और 60 फीट गहरा कुआँ खोद दिया है.

और ऐसा करने के पीछे उनकी पत्नी की एक समस्या है. उन्होंने आगे बताया कि शुरुआत में यह काम मुश्किल था क्योंकि पहाड़ काटना काफी परेशानियों से भरा हुआ काम है. उस दौरान इन्हें काफी परेशानी हुई थी लेकिन जब से मिट्टी की परत आई है. तब से यह काम थोड़ा आसान हो गया है और उन्होंने ठाना है कि वह कुआं बना कर ही दम लेंगे.

बिना किसी मदद के कर रहे हैं काम

हरि सिंह बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने गांव के लोगों से मदद मांगी थी क्योंकि गांव की बाकी महिलाएं भी इसी समस्या का सामना करती हैं. लेकिन इतना समझाने के बावजूद भी किसी ने उनकी मदद नहीं की, इसके बाद उन्होंने खुद ही पहाड़ काटकर कुआँ बनाने का निश्चय किया और अब लगभग यह काम सफल हो चुका है.

जिसमें 3 साल की कड़ी मेहनत लगी है. उन्होंने कहा कि वह अब किसी के आशरे नहीं है. वह खुद ही अपने मेहनत पर भरोसा रखते हैं और जल्द ही रिजल्ट भी सामने होगा. वाकई हरि सिंह ने दिखा दिया है कि अगर किसी काम को करने की जिद आपके अंदर हो तो काम कोई भी कठिन नहीं है.

कहना गलत नहीं होगा दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था और मध्य प्रदेश के हरि सिंह ने पहाड़ काटकर रास्ता नहीं बल्कि कुआं तो जरूर बना दिया है. हरि सिंह के इस जज्बे को हम सलाम करते हैं.

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