खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कांस्य पदक जीतने वाली लड़की की कहानी इमोशनल कर देगी.

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Khelo India Youth Games 2022: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में बहुत सारे टैलेंट उभर कर आए हैं. इस प्रतियोगिता में कुछ ऐसे टैलेंट है. जिन्होंने अपने संघर्ष के दम पर मेडल हासिल किए हैं तो कुछ ऐसे भी लोग हैं.

जिनका पिछला समय काफी संघर्ष भरा रहा है. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी से रूबरू कराने वाले हैं. जिसके ऊपर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था.

मां ने मेहनत मजदूरी करके बेटी को यहां तक पहुंचाया और अब बेटी ने इतिहास रच दिया है. जी हां, हम युवा खिलाड़ी मुगदा सिरीशा के बारे में बात कर रहे हैं. जिन की कहानी किसी प्रेरणादायक जज्बे से कम नहीं है.

400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में जीता कांस्य पदक : हरियाणा के पंचकुला में हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में मुगदा सिरीशा ने 400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया है और जब से इन्होंने यह गौरव प्राप्त किया है. तब से यह हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है

और इनके उज्जवल भविष्य को साधने के लिए भी तैयारियां की जा रही हैं. आंध्र प्रदेश के जिले श्रीकाकुलम की रहने वाली मुगदा सिरीशा का यहां तक पहुंचने का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है. इनके पिता इन्हें खेल के प्रति को प्रोत्साहित करते थे

लेकिन बुरा दौर जब आया जब इनके पिता के निधन के बाद पूरी जिम्मेदारी इनके और इनकी मां के कंधों पर थी. और जब घर की जिम्मेदारी इनके कंधों पर आई तब से उन्होंने न सिर्फ घर को संभाला. बल्कि अपनी मेहनत को भी दोगुना कर दिया.

पिता की मौत के बाद बिखर गई लेकिन खुद को संभाला : बता दें, साल 2019 में मुगदा सिरीशा के पिता की एक एक्सीडेंट के दौरान मौत हो गई थी. इसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनकी और इनकी मां के कंधों पर मजदूरी करके आगे के लिए प्रोत्साहित किया.

वही बेटी ने भी दिन रात मेहनत की. सिरीशा बताती है कि जब उनके पिता का निधन हुआ था. उस समय वे काफी टूट गई थी. लेकिन मां ने कभी भी ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि उनके पास किसी चीज की कमी है.

हिमा दास के रिकॉर्ड को तोड़ना चाहती है : खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कांस्य पदक जीतने के बाद मुगदा सिरीशा ने अपना अगला टारगेट भी बताया है. उन्होंने कहा है कि वह हिमा दास के रिकॉर्ड को तोड़ना चाहती है. बता दें, हाल फिलहाल में सिरीशा हैदराबाद की एक एकेडमी में इसकी तैयारी कर रही हैं और इनके कोच का नाम है नागापुरी रमेश. जो द्रोणाचार्य पुरस्कार भी जीत चुके हैं.

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