किसी भी माता-पिता के लिए यह बहुत खुशी की बात होती है कि उनका बेटा अपनी जिंदगी में सफलता हासिल करें लेकिन अगर बेटा किसी मंजिल को हासिल करने में नाकाम हो जाता है तो माता-पिता को सबसे ज्यादा दुख होता है। लेकिन हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जहां पर दुख और खुशियां दोनों एक साथ दिखाई दे रहे हैं।
महाराष्ट्र के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षाओं के परिणाम घोषित हो चुके हैं जिनमें महाराष्ट्र के सभी विद्यार्थियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन कर दिखाया है। इन परिणामों में एक और अनोखी बात देखने को मिली जहां पर एक पिता ने 30 साल बाद अपने बेटे के साथ पढ़ाई कर दसवीं की परीक्षा दी और पिता पास हो गए।
दोस्तों यह घटना महाराष्ट्र के पुणे जिले की है। महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले भास्कर वाघमारे कि बचपन में आर्थिक परिस्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने सातवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की। परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए उन्होंने सातवीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी और काम धंधे पर लग गए।
लेकिन 30 साल बाद पढ़ाई लिखाई का जज्बा उनके अंदर फिर जागृत हुआ इसलिए उन्होंने दसवीं की परीक्षा देने का निर्णय किया। क्योंकि ऐसा कहते हैं पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती इसलिए उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर दसवीं की पढ़ाई शुरू कर दी।
पिता और बेटा दोनों की एक साथ दसवीं की पढ़ाई करते थे और पूरी मेहनत लगन से पढ़ाई करते थे। लेकिन दसवीं के जब परिणाम घोषित हुए तो पिता को तो उनकी मेहनत का पूरा फल मिला लेकिन बेटा दसवीं की परीक्षा पास होने में नाकाम हो गया।
इसलिए हमने पहले कहा कि इस खबर को देखने पर दुख और खुशी दोनों एक साथ दिखाई देंगी। पिता को पास होने पर काफी ज्यादा खुशी महसूस हो रही है लेकिन उसी पिता को अपना बेटा फेल हो जाने पर दुख भी महसूस हो रहा है। भास्कर वाघमारे कहते हैं कि पढ़ाई करने में उनके बेटे ने उनका बहुत सहयोग किया जिसकी वजह से ही वह दसवीं की परीक्षा पास कर पाए हैं।
उन्हें इस बात का बहुत दुख है कि उनका बेटा दसवीं की परीक्षा पास नहीं कर पाया। बता दें कि भास्कर वाघमारे का बेटा दो विषयों में फेल हुआ है लेकिन उनका आत्मविश्वास कम नहीं हुआ है इसलिए उन्होंने कहा कि उनका बेटा फिर से दसवीं की परीक्षा देगा
और इस बार पास होकर दिखाएगा। दोनों पिता-पुत्र की यह दास्तान सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई। लोग भास्कर वाघमारे के जज्बे की तारीफ कर रहे हैं जिन्होंने इस उम्र में भी पढ़ने लिखने की हिम्मत नहीं छोड़ी और दसवीं की कक्षा उत्तीर्ण करके दिखाया।